बदलाव

इस नए साल के आगमन पर मैंने ज़्यादा संदेश नहीं भेजे। न ही ज्यादा लोगों को फोन किया । दरअसल यह नया साल मेरे जीवन में भी काफी कुछ नया लेकर आया तो उसी उधेड़ बुन में व्यस्त थी। कुछ अजीबोग़रीब सी स्थिति लग रही थी । यहाँ एक पूरा वर्ष पलट रहा था । उसकी खुशी कैसे मना लेती जब मैं अपने घर, रसोई, आँगन, अपने पड़ोसी के बदलने तक को अपना नहीं पा रही थी । कैसी अजीब बात है ना।हम जीवन के छोटे- छोटे बदलावों से परेशान हो उठते हैं और एक साल या दशक या सदी के बदलने का जश्न मनाते हैं । सोचिए तो भला।नए किराएदार आए तो पुराने वालों को हम कितना याद करते हैं।बाॅस नया आ जाए तो पुराने वाले की डाँट डपट भी मीठी गोलियों सी याद आती है । नई नौकरी पर जाते हुए दिल कैसा धुक-धुक करता है । पर नए वर्ष से हमें बिलकुल डर नहीं लगता ।पुराने वर्ष को तो हम पुराने कपड़ों की तरह झट बदल डालते हैं । कितना सहज होता है ऐसा करना ।
क्यों? कयोंकि शायद  हम जानते हैं कि इस नवीन सुबह में अभी भी बीते कल का मधुर संगीत है।तिथि बदल गई है मगर मेरी सुबह की चाय का प्याला वही है। अभी भी मेरे बगीचे में पुराने फूलों की महक है।अभी भी काम पर जाते हुए मैं उसी पुराने  रास्ते से गुज़रूगी।
बदलाव जीवन में अनिवार्य हैै ।   तभी तो हम वीकेंड गैटअवेज़ ढूँढते हैं । मगर जब बदलाव बहुत बड़े पैैमाने पर होता है तो हर पुरानी हलचल अज़ीज़ होती है। वह एक अपनापन जताती है, हिम्मत बंधाती है। कहती है हमसे ” घबराओ नहीं, मैं साथ हूँ तुम्हारे ।” वह तुम्हारा हाथ थामे रहती है जब तक तुम सरलता से अपने नए जीवन को अपना नही लेते ।
आज बहुत दिनों बाद बंद सामान मे से अपने यह जूते बाहर निकाले और पैरों को फिर रस्ते पर लगाया । रास्ता नया था मगर मेरे पुराने जूते मेरे साथी थे। कानों में इयरफोंस नए डाले थे पर धुनें पुरानी ही बज रहीं थीं । जैसे जैसे मैं कदम बढ़ाती जा रही थी, रास्ता भी अपना सा लगने लगा । हैरान थी कि आज  इस बदलाव को गले लगा रही थी  ।फिर सोचा कि यही तो जीवन का नियम है। तो बस ,मन ने भी कहा कि आज  बोल दू सबको ” हैप्पी न्यू ईयर “!!!


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