रास्ते सफर बन जाते हैं ढूंढ लेते हैं नए सिरे अंत से पहले। बालों में उलझा हवा का झोंका झटक जाता है, समय की छलनी से मैं देखती हूँ पहाडों पर बिखरती धूप। मुट्ठी में भर लायी थी जो, उस सुबह की भीनी सुगंध को चुटकी भर सूंघ लेती हूँ। दर्पण सा साफ था नीले …
रास्ते सफर बन जाते हैं ढूंढ लेते हैं नए सिरे अंत से पहले। बालों में उलझा हवा का झोंका झटक जाता है, समय की छलनी से मैं देखती हूँ पहाडों पर बिखरती धूप। मुट्ठी में भर लायी थी जो, उस सुबह की भीनी सुगंध को चुटकी भर सूंघ लेती हूँ। दर्पण सा साफ था नीले …