मैं इश्क़ हूँ

सच मे,तुम्हारी कसम,चाँद को हथेली पर रख सकता हूँमैं इश्क़ हूँकुछ भी कर सकता हूँ!तारों की बारातसजा सकता हूँबिंदु से तरंगेउठा सकता हूँमन को आतुरकर उसकी थाह लेता हूँमैं इश्क़ हूँइन्द्रजालों में पनाह लेता हूँ।मैंने आसमान को लाल भी रंगा हैपंखों के बिनाउड़ने का स्वाद भी चखा है,फीकी खिचड़ी को भोज बताया हैमैं इश्क़ हूँमैने …

सपनों के शहर हम जाते नही

उड़ने का हौंसलाहम दिखाते नही,सपनों के शहरअब हम जाते नही। बहती हवाक्यों पेड़ों की शाखाओंसे उलझ गई,पानी की लहर देखोउफ़ान से पहलेही सिमट गई,उड़ती पतंग भीअपनी डोर से आके लिपट गई। पिंजरों से हमेंशिकायत है बड़ीफिर भी उड़ने का हौंसलाहम दिखाते नही,सपनों के शहरअब हम जाते नही। आसमानों की मुरादहमें कम तो नहीमगर पैरों को …

तो क्या मिल जाते हैं चुप रहने वाली औरतों को सौ सुख?

कहते हैं वो घर सुखी होते हैंजहां औरतें कम बोलती हैं,उनकी चुप्पी की बुनियादपर खड़े होते हैंखुशियों के शीश महल, भर जाती हैं उनकी झोलियाँहज़ारों सुखों से।एक चुप परवो कहते हैं नासौ सुख वारते हैं…और ताउम्र की चुप्पी पर? गुज़र जाती हैउनकी ज़िंदगीसिर्फ एक उसूल पर,वो जानती हैंबोलने के गुनाहों केमाफीनामे नही बनते। कटघरे बनते …

पतंगों की जंग

अब शीत लहर घबराई सी ढूंढे नए छोर, सूरज की किरणों को देखो खींचो पतंग की डोर ! आसमान में रंग हैं बिखरे, बिखरे चहुँ ओर मुंडेरों के पीछे से सब मचा रहे हैं शोर! छतों के ऊपर देखो कैसा मेला लगा है यार धरा भेज रही है जैसे नभ को अपना प्यार दोस्त हो …

रहती है सिर्फ याद

रास्ते सफर बन जाते हैं ढूंढ लेते हैं नए सिरे अंत से पहले। बालों में उलझा हवा का झोंका झटक जाता है, समय की छलनी से मैं देखती हूँ पहाडों पर बिखरती धूप। मुट्ठी में भर लायी थी जो, उस सुबह की भीनी सुगंध को चुटकी भर सूंघ लेती हूँ। दर्पण सा साफ था नीले …

सूर्य पर भी ग्रहण आता है

देखो न सूर्य पर भी ग्रहण आता है पल भर के लिए ही सही उसका बिम्ब भी छिप जाता है। चाँद को अपनी छाया पर गुमान है मगर यह दिवाकर अभी भी आग के गोले के समान है हीरे की अंगूठी सा दमकता है सूरज गुमनामी में भी चमकता है। वह जानता है यह तो …